हम वो पके हुए फल है
जो सड़े नहीं है,
सूखा मेवा बन गए है
समय की कड़ाई में तले हुए
वो गुलाब जामुन है
जो अनुभवों के रस में सन गए है
भले ही टेडी मेडी सही
हम प्यार के रस में डूबी जलेबिया है
थोड़े चरपरे तो है पर
स्वादिष्ट बीकानेरी भुजिया है
हम ममता के दूध में रडी हुयी
पुराने चावलों की खीर है
हम देशी मिठाइयो की तरह
मिठास से भरे है
पर हमारे मन में एक पीर है
की आजकल की पीड़ी को
देशी मिठाइयो से है परहेज
हमें खेद है हम लेट हो गए
बनने में चाकलेट
परांठा या चीले ही रह गए
पीजा न बन सके
पर आज भी कोई अगर प्रेम से चखे
तो जानेगा हम कितनी स्वादिष्ट है
हम बूड़े है ,हम वरिष्ठ है
भले ही युद्ध में कम नहीं आ सकते है
पर सांस्कृतिक धरोहर के रूप में तो रखे जा सकते हम विरासत के वो पुराने दुर्ग है
हम बुजुर्ग है
Budhapa is the time wen u r supposed to rest on ur laurels;wen the younger generation whom u hv nurtured with so much luv and care tries to return back all that u hv done for them in whatever way they can.But its often a dreaded sentence;a phase wen younger ones grow out of their use of you & desert u;when poor health and ungrateful children unite forces to make life miserable.This blog of poems of Ghotoo reflect experiences of life in old age,in which u’ll find your own experience reflected
Sunday, November 14, 2010
hum bujurg hai हम वो पके हुए फल है जो सड़े नहीं है, सूखा मेवा बन गए है समय की कड़ाई में तले हुए वो गुलाब जामुन है जो अनुभवों के रस में सन गए है भले ही टेडी मेडी सही हम प्यार के रस में डूबी जलेबिया है थोड़े चरपरे तो है पर स्वादिष्ट बीकानेरी भुजिया है हम ममता के दूध में रडी हुयी पुराने चावलों की खीर है हम देशी मिठाइयो की तरह मिठास से भरे है पर हमारे मन में एक पीर है की आजकल की पीड़ी को देशी मिठाइयो से है परहेज हमें खेद है हम लेट हो गए बनने में चाकलेट परांठा या चीले ही रह गए पीजा न बन सके पर आज भी कोई अगर प्रेम से चखे तो जानेगा हम कितनी स्वादिष्ट है हम बूड़े है ,हम वरिष्ठ है भले ही युद्ध में कम नहीं आ सकते है पर सांस्कृतिक धरोहर के रूप में तो रखे जा सकते है हम विरासत के वो पुराने दुर्ग है हम बुजुर्ग है
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