Sunday, November 14, 2010

hum bujurg hai हम वो पके हुए फल है जो सड़े नहीं है, सूखा मेवा बन गए है समय की कड़ाई में तले हुए वो गुलाब जामुन है जो अनुभवों के रस में सन गए है भले ही टेडी मेडी सही हम प्यार के रस में डूबी जलेबिया है थोड़े चरपरे तो है पर स्वादिष्ट बीकानेरी भुजिया है हम ममता के दूध में रडी हुयी पुराने चावलों की खीर है हम देशी मिठाइयो की तरह मिठास से भरे है पर हमारे मन में एक पीर है की आजकल की पीड़ी को देशी मिठाइयो से है परहेज हमें खेद है हम लेट हो गए बनने में चाकलेट परांठा या चीले ही रह गए पीजा न बन सके पर आज भी कोई अगर प्रेम से चखे तो जानेगा हम कितनी स्वादिष्ट है हम बूड़े है ,हम वरिष्ठ है भले ही युद्ध में कम नहीं आ सकते है पर सांस्कृतिक धरोहर के रूप में तो रखे जा सकते है हम विरासत के वो पुराने दुर्ग है हम बुजुर्ग है

हम वो पके हुए फल है
जो सड़े नहीं है,
सूखा मेवा बन गए है
समय की कड़ाई में तले हुए
वो गुलाब जामुन है
जो अनुभवों के रस में सन गए है
भले ही टेडी मेडी सही
हम प्यार के रस में डूबी जलेबिया है
थोड़े चरपरे तो है पर
स्वादिष्ट बीकानेरी भुजिया है
हम ममता के दूध में रडी हुयी
पुराने चावलों की खीर है
हम देशी मिठाइयो की तरह
मिठास से भरे है
पर हमारे मन में एक पीर है
की आजकल की पीड़ी को
देशी मिठाइयो से है परहेज
हमें खेद है हम लेट हो गए
बनने में चाकलेट
परांठा या चीले ही रह गए
पीजा न बन सके
पर आज भी कोई अगर प्रेम से चखे
तो जानेगा हम कितनी स्वादिष्ट है
हम बूड़े है ,हम वरिष्ठ है
भले ही युद्ध में कम नहीं आ सकते है
पर सांस्कृतिक धरोहर के रूप में तो रखे जा सकते  हम विरासत के वो पुराने दुर्ग है
हम बुजुर्ग है

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