Monday, May 23, 2011

हो गयी क्या गड़बड़ी है-जो फसल सूखी पड़ी है

हो गयी क्या गड़बड़ी है-जो फसल सूखी पड़ी है
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बीज तो मैंने उगा कर,खेत से अपने दिए थे,
फिर न जाने हो गयी क्यों,इस फसल में गड़बड़ी है
आ रहे है बालियों में,कुछ पके अनपके दाने ,
और कितनी बालियाँ है ,जो अभीखाली  पड़ी है
थी बड़ी उपजाऊ माटी,खाद भी मैंने दिया था
खेत को मैंने बड़े ही ,जतन से सिंचित किया था
हल चलाया था समय पर,करी थी अच्छी जुताई
और अच्छे बीज लेकर ,सही मुहुरत में बुवाई
उगे खा पतवार सारे ,छांट कर मैंने निकाले,
बहुत थे अरमान लेकिन ,गाज मुझ पर गिर पड़ी है
  हो गयी क्या गड़बड़ी है जो फसल सूखी पड़ी है
न तो ओले ही गिरे थे,और ना ही पड़ा पाला
सही मौसम ,सही बारिश ,सभी कुछ देखा संभाला
मगर पश्चिम की हवाएं ,कीट ऐसे साथ लायी
कर दिया बर्बाद ,फसलें,पनपने भी नहीं पायी
कर रहा हूँ जतन भरसक,लाऊ ऐसा कीटनाशक,
जो की फिर से लहलहा दे,फसल जो सूखी पड़ी है
  हो गयी क्या गड़बड़ी है जो फसल सूखी पड़ी है

 बहेती 'घोटू'

Friday, May 20, 2011

हम तो बस सूखे उपले है

हम तो बस सूखे उपले है
जिनकी नियति जलना ही है
         रोज रोज क्यों जला रहे हो
दूध,दही,घी,थे  हम एक दिन,
              भरे हुए ममता ,पोषण से
पाल पोस कर बड़ा किया था,
               प्यार लुटाया सच्चे मन से
उंगली पकड़ सिखाया चलना,
                पढ़ा लिखा कर तुम्हे सवांरा
ये कोई उपकार नहीं था,
                 ये तो था कर्तव्य  हमारा
तुम चाहे मत करो,आज भी,
                  हमें तुम्हारी बहुत फिकर है
अब भी बहुत उर्वरक शक्ति,
                  हममे,मत समझो गोबर हैं
हमें खेत में डालोगे तो,
                  फसल तुम्हारी लहलहाएगी
जल कर भी हम उर्जा देंगे,
                  राख हमारी काम आएगी  
उसे खेत में बिखरा देना,
                 नहीं फसल में कीट  लगेंगे
जनक तुम्हारे हैं ,जल कर भी,
                   भला तुम्हारा ही सोचेंगे
क्योंकि हम माँ बाप तुम्हारे,
                  तुम्हे प्यार करते है जी भर
हाँ,हम तृण थे ,दूध पिलाया
                    तुम्हे,बच गए बन कर गोबर
और अब हम हैं सूखे उपले,
                    जिन्हें जला दोगे तुम एक दिन
राख और सब अवशेषों का,
                   कर दोगे गंगा में   तर्पण
       हम तो बस सूखे उपले है,   
     जिनकी नियति जलना ही है
               रोज रोज क्यों जला रहे हो
मदन मोहन बहेती 'घोटू'