Tuesday, October 11, 2016

       करो संगत जवानों की

बुढापे में अगर तुमको,जोश जो भरना है जी में,
तरीका सबसे  अच्छा है ,करो सगत जवानों की
रहेगी मौज और मस्ती,उंगलिया सब की सब घी में,
तुम्हारे चेहरे पर छा जायेगी ,रंगत  जवानों  की
करेगी बात हंस हंस कर  ,हसीना नाज़नीं  तुमसे,
भले अंकल पुकारेगी ,तो इसमें हर्ज ही क्या है,
तुम्हारी सोच बदलेगी,जवां समझोगे तुम खुद को,
रखेगी,सजसंवर कर 'फिट',तम्हे सोहबत जवानों की
चढ़े परवान पर फिर से ,तुम्हारा जोश और जज्बा ,
तुम्हारे तन की रग रग में,जवानी फिर से दौड़ेगी ,
सफेदी सर की तुम्हारे,हो काली ,लहलहायेगी,
लौट फिर तुम में आएगी,वही हिम्मत जवानों की
उमर के फासले की जब झिझक मिट जायेगी तो फिर,
तुम्हारे अनुभवों  का लाभ ,पायेगी नयी  पीढ़ी ,
कभी तुम उनसे सीखोगे,कभी वो तुमसे सीखेंगे ,
तुम्हारा दिल भी खुश होगा ,यूं पा उल्फत जवानों की

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
बुढापा-एक सोच

जवानी  में तो  यूं  ही, सुहाना  संसार  होता है
उमर के साथ जो बढ़ता ,वो सच्चा प्यार होता है
बुढापा कुछ नहीं ,एक सोच है ,इसको बदल डालो ,
पुराना जितना , उतना  चटपटा  अचार होता है
न चिता काम की,फुरसत ही फुरसत ,मौज मस्ती है,
यही तो वो उमर है ,जब चमन  ,गुलजार होता है
ताउमर ,काम कर मधुमख्खियों सा,भरा जो छत्ता ,
बची जो शहद ,चखने का ,यही त्योंहार होता है
अपनी तन्हाई का रावण जला दो,मिलके यारों से,
जला दीये दिवाली के,दूर अन्धकार होता है
प्रभु में लीन होने से, पूर्व का पर्व  ये  सुन्दर,
हमारी जिंदगी में  ,सिर्फ बस एक बार होता है
यूं तो दिलफेंक कितने ही ,दिखाते दिलवरी अपनी,
निभाता साथ जीवन भर ,वही दिलदार होता है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'