Tuesday, October 29, 2013

          मुझे बूढा समझने की ,भूल तुम किंचित न करना

 भले ही ज्यादा उमर है 
झुर्रियों के पड़े  सल है
मुझे बूढा समझने की ,भूल तुम किंचित न करना
तवा है ठंडा समझ कर ,हाथ मत इसको लगाना,
उंगलियां ,नाजुक तुम्हारी ,जल न जाए ,लग तवे पर
बची गर्मी आंच में है ,और तवा है गर्म इतना ,
रोटियां और परांठे भी ,सेक सकते आप जी भर ,
खाओगे ,तृप्ती मिलेगी
भूख तुम्हारी  मिटेगी
कभी अपने प्यार से तुम ,मुझे यूं वंचित न करना
मुझे बूढा समझने की ,भूल तुम किंचित न करना
दारू ,जितनी हो पुरानी ,और जितनी 'मेच्युवर' हो,
उतना ज्यादा नशा देती ,हलक से है जब उतरती
पुराने जितने हो चावल,उतने खिलते ,स्वाद होते
जितनी हो 'एंटीक'चीजें,उतनी ज्यादा मंहगी मिलती
पकी केरी आम होती
बड़ी मीठी स्वाद होती
उमर का देकर हवाला ,मिलन से वर्जित न करना
मुझे बूढ़ा समझने की ,भूल तुम किंचित न करना

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

Monday, October 28, 2013

     करवट करवट मन होता
          (पहली करवट )
नींद उड़ जाती,जब आँखों से ,करवट करवट मन होता
नाच रहा मेरी आँखों के ,आगे  तब  बचपन होता
वो निश्छल ,निश्चिन्त,निराला ,खेलकूद वाला जीवन
उछल कूद और धींगामस्ती ,शैतानी करना हरदम
तितली पकड़ ,छोड़ फिर देना ,गिनना तारे, सांझ पड़े 
अपनापन और स्नेह लुटाते ,घर के बूढ़े और बड़े
दादी की  गोदी में किस्से सुनने का था मन होता
नाच रहा मेरी आँखों के आगे फिर बचपन होता
           (दूसरी करवट)
नींद उड़ जाती जब  आंखों से ,करवट करवट मन होता
नाच रहा  मेरी आँखों के ,आगे फिर यौवन होता
याद जवानी की  आती जब ,पहला पहला प्यार हुआ
चोरी चोरी प्रेम पत्र  लिख , उल्फत का इजहार हुआ
बस दिन रात उन्ही की यादों में  ,खोया रहता था मन
उन्ही के सपने आते थे ,  छाया  था दीवानापन
सांस सांस और हर धड़कन में,एक पागलपन था होता
नाच रहा मेरी आँखों के ,आगे फिर यौवन होता

                      (तीसरी करवट)
नींद उड़ जाती ,जब आँखों से ,करवट करवट मन होता
घूम रहा मेरी आँखों में ,वह गृहस्थ  जीवन होता
सजनी के संग मधुर मिलन की  ,शादी वाली वो बातें
पागल और बावरे से दिन,और मस्तानी सी रातें
धीरे धीरे बढ़ी गृहस्थी ,  बच्चों संग परिवार बढ़ा
कुछ जिम्मेदारी ,चिंतायें ,सर पर आयी,बोझ बड़ा
खर्चे और कमाई का ही ,झंझट था हर क्षण होता
घूम रहा मेरी आँखों में ,वह गृहस्थ जीवन होता
                      (चौथी करवट)
नींद उड़ जाती जब आँखों से ,करवट करवट मन होता
बढ़ती उमर ,बुढ़ापा आता,और शिथिल ये तन होता
बहुत सताती है  चिंतायें ,दुःख बढ़ जाता है मन का
सबसे कठिन दौर होता है ,यह मानव के जीवन का
हो जाता कमजोर बदन है बिमारी करती  घेरा
बहुत उपेक्षित होता जीवन,अपने करते मुंह फेरा
दुःख होता ,पीड़ा होती है और मन में क्रन्दन होता
बढ़ती उमर ,बुढ़ापा आता ,और शिथिल  ये तन होता

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

Thursday, October 24, 2013

          बुढ़ापा क्या चीज है

आओ हम तुमको बताएं,बुढापा क्या चीज है
उम्र का अंतिम चरण  ये, मौत की दहलीज है
खट्टा मीठा बचपना या  चाट जैसे चरपरी
और जवानी ,चाशनी एक तार की है, रसभरी
जलेबी ,गुलाब जामुन,सकते है ,पी रस सभी
गाढ़ी होती ,चाशनी जब ,बुढ़ापा आता  ,तभी  
चीज इसमें ,जो भी डालो,नहीं सकती भीज है
आओ हम तुमको बताएं,बुढापा क्या चीज है
जवानी में जिंदगानी ,होती है  कुछ इस तरह
चटपटी सी,कुरमुरी सी ,भेलपूरी जिस  तरह
स्वाद इसका ,ताजगी में,बाद में जाती है गल
लिसपिसा होता बुढापा ,उम्र जब जाती है ढल
इसलिए मन कुलबुलाता और  आती खीज है
आओ हम तुमको बताएं ,बुढापा क्या चीज है
बुढापे में ,रसोई का ,गणित जाता ,गड़बड़ा
आटा  गीला ,उम्र का जब,हो अधिक पानी पड़ा 
फूलती कम पूरियां है ,आटा गीला ,हो जो सब
दाना दाना ,खिलते चांवल ,जवानी में पकते जब
लई बनते ,बुढ़ापे में ,अधिक जाते सीज  है
आओ हम तुमको बताएं ,बुढापा क्या चीज है

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

Monday, October 14, 2013

नीरस जीवन

          घोटू की कुण्डलियाँ
             नीरस जीवन
                       १
बूढा भंवरा क्या करे ,कोई दे बतलाय
ना तो कलियाँ 'लिफ्ट'दे,फूल न गले लगाय
फूल न गले लगाय ,जनम से रस का लोभी
नहीं मिले रस तो उसकी क्या हालत होगी
कह 'घोटू'कविराय हो गया ,उसका कूड़ा
ना घर का ना रहा घाट  का,भंवरा बूढा 
                         २
जीवन का सब रस गया ,मन में नहीं उमंग
बदल गया है इस तरह ,इस जीवन का रंग
इस जीवन का रंग,सोचता है वो मन में
रहा नहीं वो जोश ,आजकल है गुंजन में
किया 'टेंशन'दूर तभी 'घोटू'ने मन का
कहा'खुशबुएँ सूंघ ,मज़ा बस ये जीवन का'
घोटू

Saturday, October 12, 2013

              दस्तक
पहले थी मौसम में गर्मी
भूल गए हम शर्मा शर्मी
मौज और मस्ती थी हरदम
रहते थे स्वच्छंद पड़े हम
पर जब आई कहीं से आहट
हमने  चादर ओढी झटपट
समझ गए ,बाहर निकले जब
सर्दी  ने    आकर दी दस्तक
एसा ही होता है जीवन
यौवन है  गर्मी का मौसम
सर्दी का मौसम आता तब
जब कि बुढापा ,देता दस्तक

मदन मोहन बाहेती'घोटू'