Tuesday, June 19, 2012

     कल के  लिये

आस है कल अगर फल की ,आज पौधे रोंपने है
विरासत के वजीफे,नव पीढ़ियों को   सौंपने  है
मार कर के कुंडली ,कब तलक  बैठे तुम  रहोगे
सभी सत्ता ,सम्पदा,सुख को समेटे  तुम रहोगे
थक गये हो,पक गये हो,हो गये बेहाल से तुम
टपक सकते हो कभी भी,टूट  करके डाल से तुम
छोड़ दो ये सभी बंधन, मोह, माया में भटकना
एक दिन तस्वीर बन,दीवार पर तुमको लटकना
वानप्रस्थी इस उमर में,भूल जाओ  कामनायें
प्यार सब जी भर लुटा दो,बाँट दो   सदभावनाएँ
याद रख्खे पीढियां,कुछ काम एसा  कर दिखाओ
कमाई  कर ली बहुत , अब नाम तुम अपना कमाओ

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

Tuesday, June 12, 2012

बुढ़ापे में

बताएं आपको क्या बात है बुढ़ापे में
बिगड़ जाते बहुत हालात है बुढ़ापे में
    नींद आती ही नहीं,आई,उचट   जाती है
    पुरानी बातें कई दिल में उभर  आती है
बड़ी रुक रुक के ,बड़ी देर तलक आती है,
पुरानी यादें और पेशाब है  बुढ़ापे में
    मिनिट मिनिट में सारी ताज़ी बात भूलें  है
    जरा भी चल लो तो जल्दी से सांस फूले  है
कभी घुटनों में दरद ,कभी कमर दुखती है,
होती हालत बड़ी खराब है     बुढ़ापे में
    खाने पीने के हम शौक़ीन तबियत वाले
    जी तो करता है बहुत,खा लें ये या वो खालें
बहुत पाबंदियां है डाक्टर की खाने पर,
पेट भी देता नहीं साथ है  बुढ़ापे में
    दिल तो ये दिल है यूं ही मचल मचल जाता है
    आशिकाना मिजाज़,छूट  कहाँ  पाता   है
मन तो करता है बहुत कूदने उछलने को,
हो नहीं पाते ये उत्पात  हैं बुढ़ापे   में
      देखिये टी वी या फिर चाटिये अखबार सभी
       भूले भटके से बच्चे पूछतें  है  हाल कभी
कभी देखे थे जवानी में ले के बच्चों को,
टूट जाते सभी वो ख्वाब है   बुढ़ापे में
बताएं आपको क्या बात है बुढ़ापे में
बिगड़ जाते बहुत हालात है  बुढ़ापे में

मदन मोहन बहेती 'घोटू'