Friday, March 28, 2014

         तीन  चतुष्पदियाँ
                   १
                 बीमा
अपने संतानों के खातिर ,सोचते  है कितना  हम
मर के भी उनके लिए , कुछ न कुछ कर जाएँ हम 
काट कर  के पेट अपना ,भरते बीमा  प्रीमियम
मिलेगा बच्चों को पैसा ,जब हमें ले जाए   यम
                              २
                      फल
जिंदगी अपनी लुटाते है  हम जिनकी चाह मे
जीते जी, पर  बुढ़ापे में , पूछते  ना   वो   हमें
सोचते ये देख मुझको,आम्र के तरु  ने कहा ,
बोया तुम्हारे पिता ने , दे रहा हूँ , फल तुम्हे
                              ३
                      दान पुण्य
बोला पंडित ,दान करले ,काम ये ही आयेगा
मरने पर इस पुण्य से ही,मोक्ष को तू पायेगा
मैंने  सोचा जन्म अगला,मेरा सुधरे या नहीं ,
दान पाकर,जन्म पंडित का सुधर ,पर ,जाएगा

मदन मोहन बाहेती'घोटू'
            अब हाशिये पे हम

अब क्या सुनाएँ आपको ,अपनी कहानी हम
आँखें न कहीं आपकी ,हो जाए सुन के नम
बचपने में बड़े भोले और  मासूम से थे हम
आयी जवानी ,शोखियों का ,था गजब आलम
आया है मगर जब से ,बुढ़ापे का ये मौसम
ना तो इधर के ही रहे और ना उधर के हम
लड़ते ही रहे जमाने से जब तलक था दम
देखें है हमने हर तरह के बदलते  मौसम
कुछ इस कदर से ,बुढ़ापे ने ढायें है सितम  
सचमुच परेशां ,अपनोकी ही बेरुखी से हम
और लिखते लिखते जिंदगी की दास्ताने गम
पन्ना है पूरा भर गया अब  हाशिये पे हम

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

Wednesday, March 5, 2014

         नेताओं का बुढ़ापा

स्वर्गलोक के देव, अप्सरायें न कभी बूढ़ी होती 
किन्तु बुढ़ापे  में मानव की,हालत बड़ी बुरी होती
हम लोग  रिटायर जब होते ,तो हो जाता है बुरा हाल
और नेता जब बूढ़े होते तो बन जाते है   राज्य पाल
क्या नेता होते देव तुल्य ,चिरयुवा ,जवां हरदम रहते
जो उनको चुन कर देव बनाते जीवन भर सब दुःख सहते

मदन मोहन बाहेती'घोटू'