Wednesday, September 12, 2012

इजहारे इश्क-बुढ़ापे में

दिल के कागज़ पर लिखा है,नाम केवल आपका
ध्यान मन में लगा रहता है हरेक पल  आपका
क्या गजब का हुस्न है और क्या  अदाएं आपकी,
घूमता आँखों में रहता, चेहरा चंचल    आपका
हम को दीवाना दिया है कर तुम्हारी चाह ने ,
सोने के साँचें से आया , ये बदन ढल आपका
बन संवर के ,निकलती  हो ,जब  ठुमकती चाल से,
दिल करे दीदार करता रहूँ दिन भर   आपका
श्वेत  केशों पर न जाओ,उम्र में  क्या रखा,
प्यार देखो,दिल जवां है,और पागल  आपका
बात सुन वो हँसे,बोले आप है सठिया गये,
जंच रहा है ,नहीं हमको ,ये प्रपोजल  आपका
फिर भी ये तारीफ़ सुन कर,हमको है अच्छा लगा,
तहे दिल से शुक्रिया है,डियर 'अंकल'  आपका

मदन मोहन बाहेती'घोटू'

No comments:

Post a Comment