Tuesday, June 19, 2012

     कल के  लिये

आस है कल अगर फल की ,आज पौधे रोंपने है
विरासत के वजीफे,नव पीढ़ियों को   सौंपने  है
मार कर के कुंडली ,कब तलक  बैठे तुम  रहोगे
सभी सत्ता ,सम्पदा,सुख को समेटे  तुम रहोगे
थक गये हो,पक गये हो,हो गये बेहाल से तुम
टपक सकते हो कभी भी,टूट  करके डाल से तुम
छोड़ दो ये सभी बंधन, मोह, माया में भटकना
एक दिन तस्वीर बन,दीवार पर तुमको लटकना
वानप्रस्थी इस उमर में,भूल जाओ  कामनायें
प्यार सब जी भर लुटा दो,बाँट दो   सदभावनाएँ
याद रख्खे पीढियां,कुछ काम एसा  कर दिखाओ
कमाई  कर ली बहुत , अब नाम तुम अपना कमाओ

मदन मोहन बाहेती'घोटू' 

1 comment:

  1. वानप्रस्थी इस उमर में,भूल जाओ कामनायें
    प्यार सब जी भर लुटा दो,बाँट दो सदभावनाएँ
    याद रख्खे पीढियां,कुछ काम एसा कर दिखाओ
    कमाई कर ली बहुत , अब नाम तुम अपना कमाओ

    मदन मोहन बाहेती'घोटू'जी बहुत सुन्दर टिप्स और सन्देश आप के सच में अपने को भार न समझ जितना संभव रचनात्मक धनात्मक समर्थ बनाएं तो आनंद और आये ..झरोखा ..सुन्दर ..जय श्री राधे
    भ्रमर ५
    भ्रमर का दर्द और दर्पण

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