Tuesday, February 7, 2012

घुटने की तकलीफ

घुटने की  तकलीफ
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होती हमें बुढ़ापे में है ,घुटने की तकलीफ बहुत है
बचपन में चलते घुटनों  बल,चलना तभी सीख पाते है
मानव के जीवन में घुटने,सबसे अधिक काम आते है
करो प्रणाम,झुकाव घुटने,प्रभु पूजन में घुटने टेको
दफ्तर में साहब के आगे,झुकना पड़ता है घुटने को
बैठो तो घुटने बल बैठो,लेटो,करवट लो, घुटने बल
योगासन में,भागदौड़ में,घुटने ही देते है संबल
जगन,शयन और मधुर मिलन में,घुटने का सहयोग बहुत है
सीढ़ी चढ़ने  और उतरने   में घुटनो  का  योग बहुत  है
पत्नी जी यदि जिद पर आये,उनके आगे टेको  घुटने
हम इतना झुकते जीवन भर,की घुटने लगते है दुखने
इस शरीर का सारा बोझा,बेचारे घुटने सहते है
कदम कदम पर ,घुटनों के बल,हम आगे बढ़ते रहते है
एक  तो उमर बुढ़ापे की और उस पर ये घुटने की पीड़ा
उस पर बच्चे ध्यान न देते,मन ही मन घुटने की पीड़ा
मन की घुटन,दर्द घुटने का,तन मन रहती पीड़ बहुत है
होती हमें बुढ़ापे में है,घुटने की तकलीफ बहुत है

मदन मोहन बाहेती 'घोटू'

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