मुझ को बूढा मत समझो तुम ,मै जवान हूँ
अस्ताचल की और झुक रहा आसमान हूँ
नहीं प्रखरता ,अब मुझमे स्वर्णिम आभा है
तेज घट गया और अब शीतलता ज्यादा है
भुवनभास्कर था मै,अब हूँ ढलता सूरज
पर सूरज ,सूरज था ,सदा रहेगा सूरज
जग को जीवन देने वाला ,महाप्राण हूँ
मुझ को बूढा मत समझो तुम, मै जवान हूँ
अस्ताचल की और झुक रहा आसमान हूँ
नहीं प्रखरता ,अब मुझमे स्वर्णिम आभा है
तेज घट गया और अब शीतलता ज्यादा है
भुवनभास्कर था मै,अब हूँ ढलता सूरज
पर सूरज ,सूरज था ,सदा रहेगा सूरज
जग को जीवन देने वाला ,महाप्राण हूँ
मुझ को बूढा मत समझो तुम, मै जवान हूँ
bahut sahi aur bahut hi jabardast bat kahi hai
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