Wednesday, January 12, 2011

असली इश्क बुढ़ापे में है

तुम जवान थी ,मै जवान था
गरम खून में तब उफान था
भरा जोश था ,नहीं होश था
हम तुम दोनों में योवन था
फिर बच्चो की जिम्मेदारी
और नोकरी की लाचारी
काम,कामना और कमाई
का जुनून और पागलपन था
और अब हम हो गए रिटायर
बच्चे खुश अपने अपने घर
बस हम और तुम दो ही बचे है
छूट गया सब जो बंधन था
फुर्सत है चिंता न फिकर है
मौज मजे की यही उमर है
असली इश्क बुढ़ापे में है
बाकी सब दीवानापन था

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